Last wish of legendary Bhagat Singh : Biography
क्या थी आखिरी इच्छा Legendary भगत सिंह की : बायोग्राफी
लेकिन क्या थी भगत सिंह की आखिरी इच्छा और क्या अंग्रेजों ने वह इच्छा पूरी की?
आज 23 मार्च है, आज के ही दिन भारत के वीर सपूत भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दे दी गई थी। आज उनके शहादत दिवस पर सरकार को इन सभी को शहीद का दर्जा देकर इनको सम्मानित करनी चाहिए और आप सब लोग भी इसके लिए इसे शेयर करें।
Great salute and tribute to our heroes and freedom fighters Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev on their martyrdom 23rd march.
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आइए बात करते हैं भगत सिंह के जिंदगी की उन सारी पहलुओं के बारे में जो शायद अब तक आपने नहीं सुना होगा। जो हमारे और हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए जानना बहुत ही जरूरी है।
पिता : बेटे क्या कर रहे हो?
बेटा : बंदूके बो रहा हूं।
पिता : फिर तो उससे फसल में गोलियां उपजेगी फिर वो कौन खाएगा?
बेटा : अंग्रेज दुश्मन!!!
यह कोई कहानी नहीं है यह एक सच्चाई है जो कि भगत सिंह के जिंदगी का हिस्सा है, जो कि उस उम्र का है जब ये भी नही जानते थे कि किसान फसल क्यों उगाते है और अपने पिता से पूछा था।
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 ईस्वी में पंजाब के सियालपुर जिले के बंगा गांव में एक सिक्ख परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम विद्यावती कौर और पिता का नाम किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह थे जो कि क्रांतिकारी थे।
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भगत सिंह की उम्र सिर्फ 12 वर्ष की थी तब,
13 अप्रैल 1919 को जब पंजाब के अमृतसर शहर के जालियावाला बाग में अंग्रेजी सरकार के Rollet Act जो कि एक काला कानून था उसके खिलाफ लोग धरने के लिए पहुंचे थे, वहां अंग्रेजी सरकार के पुलिस ने उन्हें निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाई जिसमें लगभग 1000 लोगों की हत्या हो गई थी सरकारी आंकड़ों के अनुसार।
By crushing individuals, they cannot kill ideas.
वहां भगत सिंह उसके कुछ दिन बाद ही अपने घर से 20 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे और उन्होंने वहां से खून से सनी एक मुट्ठी मिट्टी लेकर घर आ गए थे और उसी दिन उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह अंग्रेजी सरकार के खिलाफ एक बहुत बड़ा क्रांति लाएंगे।
1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की घोषणा की और कहा कि अगर हम ऐसा करते हैं तो 1 साल के अंदर हमें आजादी मिल जाएगी। जिसके कारण भगत सिंह ने भी इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी किताबें फाड़ दी जो कि अंग्रेजी सरकार की थी।
लेकिन 5 फरवरी 1922 को आंदोलनकारियों ने उग्र होकर चौरा चौरी में एक थाने को आग लगा दी जिसमें एक पुलिस ऑफिसर और 21 सिपाही की जलकर मौत हो गई। जिसके बाद महात्मा गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया और यह कह दिया कि देश अभी आजादी के लिए तैयार नहीं है जोकि उनकी मंशा को दर्शाता है।
9 अगस्त 1925 को काकोरी रेलवे डकैती कांड हुआ जोकि हथियार खरीदने के लिए था उसके बाद भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद के करीब आए।
मार्च 1926 में उन्होंने नौजवानों और किसानों के साथ Naujawan Bharat की स्थापना की।
30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन का विरोध कर रहे क्रांतिकारियों में लाला लाजपत राय अग्रणी थे जिन पर लाठियों से पुलिस ने प्रहार किया जिसके कारण 17 नवंबर 1928 को उनकी मौत हो गई।
"मुझ पर पर लाठी के एक एक प्रहार अंग्रेजी सरकार के ताबूत की कील साबित होगी।"
यह लाला लाजपत राय ने इसी साइमन कमीशन एक्ट के विरुद्ध में लाठी लगने के बाद कहा था।
उनके मौत के विरोध में 17 दिसंबर 1928 को चंद्र शेखर आजाद भगत सिंह और सुखदेव ने मिलकर simon scott को मारने की प्लानिंग बनाई जो कि Simon Scott तो नहीं लेकिन saunders को गोली मार दी।
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उसके बाद भगत सिंह गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी दाढ़ी और बाल कटवाकर के कोलकाता चले गए।
8 अप्रैल 1929 को मजदूर विरोधी बिल के खिलाफ central secreteriate दिल्ली में भगत सिंह ने अपने दोस्त सुखदेव और राजगुरु के साथ बम फेंका और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए जिसका उद्देश्य क्रांतिकारी मंच तैयार करना था।
जियो और मरो अपने शान पर और पानी फेर तो दुश्मन के अरमान पर।
भगत सिंह और सुखदेव जिस जेल में बंद किए गए वहां उन्होंने देखा कि भारतीय और अंग्रेज कैदियों में काफी भेदभाव किया जा रहा है और भारतीय कैदियों को यहां तक की खाना-पीना और पढ़ने लिखने के पेपर भी नहीं दिए जाते हैं, जिसके बाद उन्होंने hunger strike शुरू किया जिसके बाद उनको लाहौर के जेल में शिफ्ट कर दिया गया जहां उनके दोस्त सुखदेव, राजगुरू और जतिन्द्र नाथ दास पहले से मौजूद थे।
सब ने मिलकर के भूख हड़ताल रखा जिसमें 63 दिनों के भूख हड़ताल के बाद जतींद्रनाथ दास की मौत 13 सितंबर 1929 को हो गई।
5 अक्टूबर 1929 को भगत सिंह ने अपना Hunger Strike तोड़ा जो कि 116 दिनों से चल रहा था। तब जब उनकी सारी मांगे पूरी हो गई और उन्हें बुक्स और पेपर पढ़ने के लिए दिए जाने लगे।
7 अक्टूबर 1930 को 68 पृष्ठों का एक निर्णय सुनाया गया कोर्ट की तरफ से, जिसमें भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को Hang till death की सजा सुनाई गई और यह 24 मार्च 1931 को रखा गया।
23 मार्च 1931 को भगत सिंह को राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दिया शाम के समय।
I am such a lunatic that I am free even in jail.
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कहीं क्रांति न भड़क जाए इसके कारण अंग्रेजी ऑफिसर ने इनके लाशों को कुल्हाड़ी से काटकर के बोरियों में भरकर फिरोजपुर ले गए और वहां मिट्टी तेल डालकर जलाने लगे जब गांव वाले पहुंचे तो उन्होंने उस टुकड़ों को सतलुज नदी में फेंक दिया।
भगत सिंह की आखिरी इच्छा थी कि उन्हें एक अपराधी की तरफ फांसी न दिया जाए और उन्हें Prisoner of war की तरह गोली मार दी जाए लेकिन अंग्रेजों ने ऐसा नहीं किया और उन्हें एक दिन पहले ही फांसी दे दी।
भगत सिंह से जुड़े महत्वपूर्ण बात :-
1 भगत सिंह हिंदी उर्दू पंजाबी और बांग्ला जानते थे जिसमें से बांग्ला भाषा उन्होंने अपने दोस्त पर टिकेश्वर दत्त से सीखा था।
2 भगत सिंह फांसी के समय 23 साल सुखदेव 23 साल और राजगुरु 22 साल के थे।
3 वह शादी छोड़कर कानपुर चले आए थे और उन्होंने कहा था कि उनकी दुल्हन सिर्फ मौत होगी अगर गुलाम भारत में शादी हुई थी।
जिंदगी कभी मेरी नहीं हुई और मैं कभी मौत का नहीं हुआ, लेकिन मौत और सफलता एक दिन आएगी क्योंकि वह मेरी चाहत है।
4 कॉलेज के दिनों में वह एक अच्छे अभिनेता थे और उन्हें कुश्ती का भी शौक था।
5 वह एक अच्छे Speaker और writer थे।
6 उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था।
7 गांधी भगत सिंह की फांसी रुकवा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया क्योंकि भगत सिंह की बढ़ती लोकप्रियता से गांधी को भी डर होने लगा था।
8 भगत सिंह को चार्ली चैंपियन की फिल्में देखना पसंद था।
लोहिया ही के जन्म दिवस ओर उन्हें भी श्रद्धांजलि।
आज Shahid e aazam भगत सिंह के शहादत दिवस पर सत सत नमन।
वन्दे मातरम।।जय हिंद।।
आपको कैसा लगा जरूर बताएं।
धन्यवाद।
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